सामान्य
 

 

    आध्यात्मिक दृष्टिकोण से सुप्रसिद्ध या अज्ञात का कोई भी मूल्य नहीं है ।

 

    गम्भीरतापूर्वक योग करनेवाला एक आदमी एक हजार प्रसिद्ध लोगों से अधिक मूल्यवान है ।

१६ जनवरी, १९३५

 

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    जिनके अन्दर कोई सच्चा मूल्य है योग उनके मूल्य को बढ़ा देगा, लेकिन जिसमें कला का मिथ्या आभास-मात्र है, वह आभास भी छिन जायेगा या अपना आकर्षण खो बैठेगा ।

 

 

    भगवती मां,

 

    क्या आप चाहती हैं कि हम अमरीका में यांग को जोर-शोर से फैलाने का यत्न करें ?

 

योग किन्हीं बाह्य प्रचारों से नहीं फैलाया जा सकता ।

३० मई १९६६

 

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जब मैं अकेला हूं तो मेरे अन्दर एकाकीपन का भाव जागता

है । क्या मैं इसमें आपकी सहायता मांग सकता हूं ?

 

जो संसार में एकाकी अनुभव करते हैं वे भगवान् के साथ एक होने के लिए तैयार हैं ।

६ जुलाई, १९६६

 

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